मैटल फिलामैंट लैम्प (Metal Filament Lamp)
By Bhagwan Singh |
मैटल फिलामैंट लैम्प को मुख्यत: तीन भागों में बांटा गया है।
कैप, बल्ब और फिलामेंट।
(1)- कैप (Cap)- मैटल फिलामैंट लैम्प में दो प्रकार की कैप का प्रयोग किया जाता है। कैप बल्ब को होल्डर में होल्ड (Hold) करके रखती है। तथा सम्पर्क बिंदु (Contact Point) द्वारा फिलामेंट को सप्लाई देती है। कैप अधिकतर एल्युमिनियम या पीतल की बनी होती है। अधिकतर दो प्रकार की कैप का प्रयोग किया जाता है।
(a)- बायोनैट कैप (Bayonet Cap)
(b)- स्क्रू टाइप कैप (Screw Type Cap)
(a)- बायोनैट कैप (Bayonet Cap) - इस कैप के दोनों ओर दो पिनें लगी होती है जो बल्ब को होल्डर के अन्दर एक निश्चित जगह पर फिट करती है ताकि सम्पर्क बिंदु द्वारा फिलामेंट को सप्लाई मिल सके। बायोनैट टाइप कैप (Bayonet Type Cap) का प्रयोग 200 वाट (200Watt) तक के लैम्पों के लिए किया जाता है। बायोनैट कैप दो पिन (Two Pins) और तीन पिन (Three Pins) की भी हो सकती है।
(b)- स्क्रू टाइप कैप (Screw Type Cap) - स्क्रू टाइप कैप में चूड़ियां बनी होती है। तथा जिस होल्डर में इस प्रकार के लैम्पों को फिट किया जाता है उन में भी चुडियां होती है और दोनों को एक - दूसरे में फिट किया जाता है इनका प्रयोग अधिकतर 150 वाट (150Watt) से ऊपर के बल्बों में किया जाता है।
(2)- बल्ब (Bulb)- बल्ब कांच का बना होता है। बल्ब के अंदर स्टैम ट्यूब तथा उस पर फिलामेंट लगा होता है। बल्ब कई प्रकार के आकार व रंगों के बनाये जाते हैं। बल्बों (Bulbs) को वायु रहित बनाया जाता है। बल्ब (Bulb) वायु रहित तथा गैस (Gas) भरे दो प्रकार के होते हैं।
(3)- फिलामेंट (Filament) - बल्बों के अंदर फिलामेंट दो प्रकार के बनाये जाते हैं।
(1)- क्वाइल टाइप (Coil Type)
(2)- क्वाइल्ड क्वाइल टाइप (Coiled Coil Type)
(1)- क्वाइल टाइप (Coil Type) - क्वाइल टाइप फिलामेंट को क्वाइल की तरह बनाया जाता है और अधिकतर टंगस्टन तार का प्रयोग किया जाता है। इनका प्रयोग कम वोल्टेज के लिए किया जाता है।
(a)- वैक्युम टाइप लैम्प (Vacuum Type Lamp)
वैक्युम टाइप लैम्पों को केवल 25 Watt तक के लिए ही बनाया जा सकता है। इन लैम्पों में किसी प्रकार की गैस नहीं होती है। यह लैम्प (Lamp) पूर्णतया वायु रहित होते हैं। वैक्युम टाइप लैम्पों में कम लम्बाई की जाल की तरह का फिलामेंट (Filament) प्रयोग किया जाता है। इनमें अधिकतर टंगस्टन (Tungsten) धातु के फिलामेंट का ही प्रयोग किया जाता है जोकि बिना आक्सीकृत हुए लगभग 200°C तक के तापमान पर कार्य कर सकता है इससे अधिक तापमान पर वाष्पीकरण क्रिया शुरू हो जाती है। इसलिए इन लैम्पों को कम वोल्टेज (Low Voltage) का बनाया जाता है तथा इन लैम्पों से कम प्रकाश (Light) मिलती है।
(b)- गैस फिल्ड टाइप लैम्प (Gas Filled Type Lamp)
इस प्रकार के लैम्पों में आर्गन तथा नाइट्रोजन आदि गैसों को भरा जाता है जिसके कारण फिलामेंट का तापमान बढ़ जाता है और फिलामेंट से तीव्र प्रकाश निकलता है। और लैम्प (Lamp) की निपुणता बढ़ जाती है। जिसके लिए अधिक लम्बाई के फिलामेंट (Filament) की आवश्यकता होती है इसलिए फिलामेंट (Filament) की तार को क्वाइल (Coil) का रूप दे दिया जाता है जिससे लम्बी तार कम स्थान घेरती है। इस प्रकार के फिलामेंट को क्वाइल्ड क्वाइल (Coiled Coil) कहा जाता है। क्वाइल की लम्बाई को वोल्टेज (Voltage) के अनुसार रखा जाता है। गैस फिल्ड टाइप लैम्पों को 40 से 1500 Voltage तक का बनाया जा सकता है जितनी वोल्टेज अधिक होगी फिलामेंट की तार की लम्बाई भी अधिक होगी, जिससे प्रकाश भी तीव्र होगा। इन लैम्पों की आयु वैक्युम टाइप लैम्पों से अधिक होती है यह लैम्प लगभग 2000 घंटे तक कार्य कर सकते हैं।
गैस फिल्ड टाइप लैम्पों की कार्य क्षमता (Capacity) को अधिक समय तक प्रभावशाली बनाने के लिए निम्नलिखित सावधानियां अपनानी चाहिए।
(1)- गैस फिल्ड टाइप लैम्पों (Gas Filld Type Lamp s) को बार बार हिलने और झटकों से बचाना चाहिए।
(2)- गैस फिल्ड टाइप लैम्प (Gas Filled Type Lamp) की फिटिंग (Fitting) सही तरीके से की जानी चाहिए।
(3)- गैस फिल्ड टाइप लैम्पों को रेटिंग वोल्टेज (Rating Voltage) ही प्रदान करनी चाहिए।
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