कैपेसिटर क्या होता है? | कैपेसिटर कितने प्रकार के होते हैं?   

हेलो दोस्तों इस आर्टिकल में मै आपको बताऊंगा कि कैपेसिटर या कंडैंसर क्या होता हैं?  कैपेसिटर कितने प्रकार के होते हैं और इसका प्रयोग कहां किया जाता हैं?

कैपेसिटर (Capacitor) 

कैपेसिटर क्या होता है? कैपेसिटर कितने प्रकार के होते हैं?

कैपेसिटर एक ऐसा उपकरण हैं जिसके द्वारा विद्युत ऊर्जा को एकत्रित या  स्टोर (Store) किया जा सकता है। इसे कैपेसिटर कहते हैं। 

जब किन्हीं दो चालकों को किसी डाइलैक्ट्रिक इंसुलेटिंग पदार्थ द्वारा अलग करके उसमें इलेक्ट्रिक फील्ड स्थापित किया जाता है तो इसमें विद्युत ऊर्जा एकत्रित हो जाती हैं और आवश्यकतानुसार इस एकत्रित ऊर्जा को प्रयोग किया जा सकता है इस युक्ति (Device) को कैपेसिटर कहते हैं। 

 इसकी इकाई फैरेड (Fared) होती हैं। 

 कैपेसिटर की क्षमता किस पर निर्भर करती हैं?

 कैपेसिटर की क्षमता निम्न तथ्यों पर निर्भर करती है। 

(1)-  प्लेटों के क्षेत्रफल के सीधे अनुपात में होती हैं। 

(2)-  प्लेटों के बीच की दूरी के उल्टे अनुपात में होती हैं। 

(3)-  प्लेटों के बीज के डाइइलेक्ट्रिक इंसुलेशन (Dielectric insulation) की प्रकृति पर निर्भर करती हैं। 

कैपेसिटर कितने प्रकार के होते हैं?

 कैपेसिटर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं। 

(1)- स्थिर मान कैपेसिटर (Fixed Value Type Capacitor) 

(2)- अस्थिर मान टाइप कैपेसिटर (Variable Value Type Capacitor) 


(1)- स्थिर मान कैपेसिटर (Fixed Value Type Capacitor) 

  जिन कैपेसिटरों का मान स्थिर रहता हैं बदलता नहीं है उन्हें स्थिर मान टाइप कैपेसिटर कहते हैं। ये कई प्रकार के होते हैं। 

(1)-पेपर कैपेसिटर  (Paper Capacitor)

(2)- माइका कैपेसिटर (Mica Capacitor )

(3)- इलैक्ट्रोलाइटिक कैपेसिटर (Electrolytic Capacitor )

(4)- सिरामिक कैपेसिटर (Ceramic Capacitor )


(1)-पेपर कैपेसिटर  (Paper Capacitor)

Paper Capacitor


 इस प्रकार के कैपेसिटरों में पेपर को डाई- ईलैक्ट्रिक की तरह प्रयोग किया जाता है तथा यह पेपर मोम या तेल में डूबा होता है। इन कैपेसिटरों की परतें बारीक एल्युमिनियम या टिन की होती हैं। इस कैपेसिटर में दो परत टिन फोयल (Tin Foil) और दो परत पेपर का प्रयोग करते है इन परतों को एक  दूसरे पर रखा जाता है तथा लपेट कर मोम में डालते हैं।  दो तारें कनेक्शन के लिए बाहर निकाल ली जाती है।  यह लगभग 600 Volt तक की क्षमता के होते हैं। इनकी कैपेसिटी लगभग 0.001 माइक्रो फैरड से 1.0 माइक्रो फैरड तक होती हैं। 

 इनका प्रयोग रेडियो,टी.वी. आदि में होता है। 

(2)- माइका कैपेसिटर (Mica Capacitor )

Mica Capacitor


इस प्रकार के कैपेसिटरों में माइका को डाई ईलेक्ट्रिक की तरह प्रयोग किया जाता है इसमें धातु फोयल (Metal Foil) 

तथा माइका की परतों को एक दूसरे पर  बारी बारी से रखकर किसी दबाव से लपेट देते हैं तथा कनेक्शन के लिए दो तारें बाहर निकाल ली जाती है। इनमें कैपेसिटेंस की मात्रा ना के बराबर बदलती हैं इन पर तापमान का भी कम प्रभाव पड़ता है। इनकी कैपेसिटी 500 माइक्रो फैरड से भी कम हो सकती हैं इनका मुख्यतः प्रयोग रेडियो, टेलीकम्यूनिकेशन आदि में किया जाता है। 

(3)- इलैक्ट्रोलाइटिक कैपेसिटर (Electrolytic Capacitor )

Electrolytic Capacitor


 इस प्रकार के कैपेसिटरों में इलेक्ट्रोलाइट को डाई ईलेक्ट्रिक की तरह प्रयोग किया जाता है।  यह दो एल्युमिनियम की परतों के बनाए जाते हैं जिनमें एक पर ऑक्साइड की परत चढ़ाई जाती है।  इलेक्ट्रोलाइट अधिकतर अमोनियम बोरेट या सोडियम फास्फेट का घोल होता है इन घोलों से संतृप्त (Impregnate) किए गए कागजों का भी प्रयोग करते हैं। इनको दो रूप में तैयार किया जाता है (1)- गीले रूप में (2)- अर्द्ध शुष्क रूप में

गीले टाइप (Wet Type) 

 इस प्रकार के कैपेसिटरों में दो एल्युमीनियम की सिलैंडर नुमा परतें होती हैं। जिसकी एक प्लेट पर अमोनियम बोरेट की पतली परत चढ़ाई जाती है तथा यह प्लेट पॉजिटिव टर्मिनल का काम करती हैं और यह पतली परत डाई ईलेक्ट्रिक का काम करती हैं। इस प्रकार के कैपेसिटरों पर +Be तथा -Ve निशान बने होते हैं।  यदि निशान ना बने  हों तो इसकी बॉडी को -Ve  टर्मिनल माना जाता है। 

अर्द्ध शुष्क टाईप (Semi dry type) 

 इस प्रकार के कैपेसिटरों में एल्युमिनियम की परत के ऊपर अमोनियम बोरेट या सोडियम फास्फेट की परत चढ़ी होती है।  दोनों प्लेटों के बीच में इलैक्ट्रोलाइट का प्रयोग किया जाता है। जिन्हें लपेटकर एक लोहे की के खोल में सील कर देते हैं।  यह कैपेसिटर 1000 माइक्रो फैरड कैपेसिटी तक की छमता के बनाए जाते हैं। 

(4)- सिरामिक कैपेसिटर (Ceramic Capacitor )

Ceramic Capacitor

 इस प्रकार के कैपेसिटरों में एल्युमीनियम की दो परतें होती हैं जिन्हें सिरामिक कंपाउंड की परत से अलग किया जाता हैं। यह सबसे छोटे आकार के होते हैं इनका मान 5PF से 0.1 माइक्रो फैरड तक होता है। इनका ज्यादातर प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक्स सर्किटों में किया जाता है। 

(2)- अस्थिर मान टाइप कैपेसिटर (Variable Value Type Capacitor) 

  इस प्रकार के कैपेसिटरों का मान बदला जा सकता है।  इन कैपेसिटरों की प्लेटों में हवा को डाई ईलेक्ट्रिक के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह बहुत कम कैपेसिटी (लगभग 500 माइक्रो फैरड) के बने होते हैं। इनमें दो तरह की प्लेटों के सेट होते हैं एक स्थिर (Fixed) और दूसरी अस्थिर (Variable)  अस्थिर  प्लेटें एक शाफ्ट के साथ इसके अंदर घूमती रहती हैं जिस कारण इसकी कैपेसिटी बदलती रहती है यदि कैपेसिटर की प्लेटें आपस में पूर्ण रूप से मिल जाती हैं तो क्षमता अधिकतम होती हैं और दूर होने पर न्यूनतम होती हैं।  यह अधिकतर रेडियो, टी.वी. में प्रयोग किए जाते हैं जैसे- एयर कैपेसिटर, गैंग तथा ट्रिमर आदि। 

ट्रिमर (Trimmer) 

Trimmer


ट्रिमर टाइप कैपेसिटर में  दो प्लेटें होती हैं जिनमें से एक स्थिर तथा दूसरी प्लेट को एक पेंच की सहायता से इसे दूर या पास (नजदीक) किया जा सकता है जिससे इसकी कैपेसिटी कम या अधिक होती है यह आकार में छोटे होते हैं इनकी कैपेसिटी को 0.50 माइक्रो फैरड तक बदला जा सकता है।