Self Induction और Mutual Induction क्या होता हैं?
स्व प्रेरण (Self Induction) और अन्योन्य प्रेरण (Mutual Induction) क्या होता है?
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स्व प्रेरण (Self Induction)
जब किसी धारावाहिक कुंडली में या परिपथ में विद्युत धारा का प्रवाह किया जाता है तो उसमें चुम्बकीय क्षेत्र Magnetic Field उत्पन्न हो जाता है और Magnetic Field उत्पन्न होने से उसमें Magnetic Flux उत्पन्न हो जाता हैं। यह Magnetic Flux का मान परिपथ में प्रवाहित होने वाली धारा के समानुपाती होता है और Magnetic Flux के कारण इसमें विद्युत वाहक बल (Electro Motive Force) उत्पन्न हो जाता है। इस घटना को ही स्व प्रेरण (Self Induction) कहते हैं।
Magnetic Flux ∝ Electric Current
Φ ∝ i
Φ = Li
L = इसमें स्व प्रेरक गुणांक या स्वप्रेरकत्व होता है
इसका मात्रक - हेनरी (H) होता है।
अन्योन्य प्रेरण (Mutual induction)
जब दो कुंडलियों को एक साथ परस्पर एक दूसरे के सामने रखा जाता है और किसी एक कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो प्रवाहित विद्युत धारा के कारण उसके निकटवर्ती कुंडली में चुंबकीय फ्लक्स (Magnetic Flux) उत्पन्न हो जाता है जिसके कारण निकटवर्ती कुंडली में प्रेरित विधुत वाहक बल का उत्पन्न हो जाता है। इसी को अन्योन्य प्रेरण या Mutual induction कहते है |
अन्योन्य प्रेरकत्व (Mutual inductance)
द्वितीय कुंडली में कुल चुंबकीय फ्लक्स ∝ प्राथमिक कुंडली में प्रवाहित विद्युत धारा
Φ2 ∝ i1
Φ2 = mi1
यहाँ m एक स्थिरांक होता हैं जो अन्योन्य प्रेरण कहलाता है।
इसका मात्रक - हेनरी (H) होता है |
अन्योन्य प्रेरण (Mutual Induction) निम्न पर निर्भर करता है -
1. कुंडलियों के बीच की दूरी पर।
2. कुंडलियों की ज्यामिति पर।
3. दोनों कुंडलियों के अभिविन्यास पर।
4. कुंडलियों के भीतर लगे आयरन क्रोड के माध्यम पर।
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